Human Being (मानव)

 
[* Original in Hindi by A Nagraj]
 

Human = conscious jeevan + body (मानव = चैतन्य जीवन और शरीर)

प्राणावस्था , मानव शरीर और जीवन के संयुक्त रूप में मानव *स्त्रोत = मानव कर्मदर्शन, संस-२, अध्याय ३, १६ वा भाग   प्राणावस्था के मूल में यौगिक विधि, प्रवृत्ति स्वंय स्फूर्त विधि से होना पाया जाता है। इसके लिए अनुकूल परिस्थिति के संबंध में अध्य...

Human Purpose (मानव प्रयोजन एवं लक्ष्य)

मानव सहज प्रयोजन  *स्त्रोत = मानव व्यवहार दर्शन, संस २००९, अध्याय ४    पुस्तक में प्रयुक्त संकेत: ●    अनुभूतियाँ । ::    परिभाषाएँ ।   सम्बन्ध एवम् स्पष्टीकरण । ○     विश्लेषण अनुभूतियों अथवा परिभाषाओं का । --- ●    विश्राम ...

Human History (मानव इतिहास)

समाधान और द्वन्द्व *स्त्रोत = समाधानात्मक भौतिकवाद, संस १९९८, अध्याय १, २  समाधानात्मक भौतिकवाद के नाम से मानव में अनेक प्रश्न उभरना स्वाभाविक है। जब से मानव सुनने-सुनाने योग्य हुआ, तब से भय और प्रलोभन वश ईश्वरवादिता क्रम में से ईश्वर को श्रेष्ठ तथ...

Language (भाषा)

भाषा और मानव भाषा: *स्त्रोत = कर्मदर्शन संस १, अध्याय  ३ , भाग ६, मध्य भाषा और मानव भाषा में जो महत्ताएँ हैं, उन तत्वों को यहाँ समझ लेना प्रासंगिक होगा। इसके मूल में मानव को एक जाति के रूप में पहचानना एक अनिवार्यता है- क्योंकि संघर्ष युग से समाधान की ओर संक...

Realization & Awakening (अनुभव और जाग्रति)

अनुभव और जागृति की स्थिरता और निश्चयता  * स्त्रोत= कर्म दर्शन, संस २, अध्याय ३, भाग ६  निश्चयता, स्थिरता सर्वमानव में चिराकाँक्षा के रूप में बनी ही है। सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व, ज्ञान और स्वीकृति का आधार है। यह सर्वमानव में सर्वेक्षण पूर्वक...
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