Detailed Study Roadmap- विस्तृत अध्ययन मार्गदर्शिका
“परिचय ब्लॉक”
चरण #1 परिचय शिविर
चरण 1 | परिचय #1 - जीवन विद्या परिचय - प्राथमिक |
सामग्री. | मानव लक्ष्य/उद्देश्य - सुख, समाधान…
क्रम से जानना: ● मानव : स्वयं, शरीर, गतिविधियाँ, समस्याएँ, समाधान। ● परिवार : बुनियादी भावनाएँ, समस्याएँ । समाधान। 9 मुल्यो /7 संबंध। ● समाज, 5 आयाम, मुद्दे, वांछनीय स्थिति। ● प्रकृति/अस्तित्व: 4 पद , 4 आयाम, स्थान, इकाइयाँ, सह-अस्तित्व |
आशय | ● सहअस्तित्व में ही चैतन्य जीवन का परिचय।
● जानना चाहता हूं, सुखी रहूं. जाग्रत होना है,जागृति। ● आगे के अध्ययन की आवश्यकता है | |
परिणाम | ● प्रकृति, अस्तित्व, मानव उद्देश्य और जीवन के आयामों के बारे में सामान्य भ्रम स्पष्ट, संश्लेषण, अंतर्संबंध, बौद्धिक आराम देते हैं।
● विभिन्न आंतरिक, पारिवारिक, सामाजिक और पारिस्थितिक मुद्दों में गड़बड़ी को समाधान-दिशा मिलती है। ● समझने की आवश्यकता स्पष्ट हो जाती है। - स्वयं और दुनिया की कई समस्याओं के समाधान के रूप में। ● स्वयं में सतर्कता शुरू होता है. ● रिश्तों में संवेदनशीलता बढ़ती है|लोगों के साथ सहानुभूति बेहतर होगी| ● धन और वस्तुओं से संबंध स्पष्ट होता है। ● सामाजिक-योगदान के भागफल में सुधार होता है। ● पारिस्थितिक भागफल में सुधार होता है। |
अभ्यास | ● प्रारंभिक पठन/विडियो/शिविरों में भाग लेना।
● स्वयं और शरीर, आवश्यकताएँ, गतिविधियाँ और कार्यक्रम। ● रिश्ते: विश्वास, इरादा, गलतियाँ जो हम करते हैं: सम्मान, आदि। स्व-नियमन। ● चीज़ें/पैसा: किम्मत, मूल्य, उपयोगिता ● स्वयं: मान्यताए, अपनाया गया व्यक्तित्व, लक्ष्य। |
संसाधन |
परिचयात्मक लेख एवं पुस्तकपरिचय ऑडियो· नागराजजी के परिचयात्मक ऑडियो सुनें परिचयात्मक शिविर विडियो1. परिचय शिविर वीडियोस - ऑनलाइन देखें (Jeevan Vidya Official Channel.) 2. वीडियो परिचय नागराजजी (recommended!) अगला कड़ी· * विभिन्न प्रबोधाकों का कम से कम दो से तीन जीवन परिचय शिविर करना सुझावित है · इसके बाद, अध्ययन बिंदु शिविर करें |
अगला कदम | ● अध्ययन बिन्दु शिविर |
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“परिचय ब्लॉक”
चरण # 2: अध्ययन बिन्दु शिविर
चरण 2 | परिचय #2 "अध्ययन बिन्दु परिचय शिविर" |
अवधि | ● 8-10 दिन, सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक |
पूर्वाअपेक्षाएं | ● कम से कम एक परिचयात्मक वर्कशॉप /परिचय शिविर
● आदर्श रूप से, परिचय शिबीर के बाद का पठन मॉड्यूल पूरा कर लिया गया है| |
सामग्री | ● चेतना विकास से समाधान या , चेतना विकास से समाधान की आवश्यकता।
● अस्तित्व का ज्ञान (अस्तित्व दर्शन ज्ञान) ● चैतन्य स्व का ज्ञान (जीवन ज्ञान) ● मानवीय आचरण का ज्ञान (मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान) ● (विवेक एवं विज्ञान) ● अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था |
आशय | ● इसका उद्देश्य दर्शन के मूल सिद्धांतों पर ध्यान जाना है।
● यह एक विकल्प या विकल्प के रूप में कैसे समझा जाता है ● सीधे सुनें मुख्य दर्शन वस्तु ● 'अध्ययन' से जुड़ता है |
परिणाम | ● मध्यस्थ दर्शन वस्तु की “प्राथमिक संभावनाए”समझ आना
● विविध आयाम में भास अथवा आभास होना शरू होता है ● शास्त्र-पठन, अध्ययन के लिए तत्परता /समझना आवश्यकता प्रथमिकता। |
अभ्यास | ● जीवन - शरीर भेद ।
● जीवन - 10 क्रियाओं का बेहतर परिचय ● संबंध , व्यवहार के मुद्दे. ● समाज व्यवस्था में भागीदारी. ● शास्त्र परिचय वाचन |
संसाधन | · अध्ययन बिंदु पठन सामग्री |
अगला कदम | ● अवलोकन शिविर |
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चरण #3: अवलोकन शिविर (Optional)
चरण 3 | “अध्ययन बिन्दु सम्पूर्ण" - मूल तत्व अवलोकन |
अवधि | ● 12 दिन |
पूर्वाअपेक्षाऐ | ● कम से कम 1 परिचय शिविर + अध्ययन बिन्दु शिविर
● एक-दो प्रारंभिक पुस्तक पढ़ें हों |
सामग्री | ● ज्ञान विवेक विज्ञान जानकारी ।
● अखंड समाज, सर्वभौम व्यवस्था, 10 सोपानिय व्यवस्था ● अध्ययन, अभ्यास का मार्ग परिचितता ● दर्शन शास्त्र पढना ● शुरुआती पढ़ना और मीडिया। |
आशय | ● मूल-वस्तु, दर्शन रचना और पथ की स्पष्टता
● वस्तु: मध्यस्थ दर्शन के मुख्य अवधारणाओं पर क्रमबद्ध स्पष्ट होना ● दर्शन: लिखित दर्शन रूप रेखा स्पष्ट होना ● मार्ग: अध्ययन, अभ्यास एवं वर्तमान जीने से सम्बंधित स्पष्टता |
परिणाम | ● सभी महत्वपूर्ण शब्द और अवधारणाएँ स्पष्ट हो जाती हैं।
● सारांश-वस्तु ध्यान में आना ● परिवार एवं समाज में "जागृति" आधारित परिणामों पर स्पष्टता ● पूर्ण-पठन-अध्ययन के लिए तैयारी - (भौतिक और समाज के मुद्दों से स्वयं की ओर ध्यान जाना) ● मध्यस्थ दर्शन सहज सम्पूर्ण मुख्य वस्तु क्रमवत स्पष्ट (चित्रित) होने में सहायता ● जीने से सम्बंधित निर्णय, अभ्यास, विधि में स्पष्टता |
अभ्यास | ● शास्त्र पठन
● जीवन - शरीर भेद । ● जीवन क्रिया स्व-निरीक्षण शुरू होता है ● समाज व्यवस्था में भागीदारी. |
अगला कदम | विधिवत अध्ययन |
संसाधन |
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अध्ययन ब्लॉक
चरण 4 | अध्ययन शिविर. (12 पुस्तकों के साथ). |
अवधि | ● अंश कालीक: 2 से 3 वर्ष।
- 3 साल तक हर 3 महीने में 7-10 दिन: किताबें पढ़ने की मुख्य अवधारणाएँ | ● पूर्ण कालीक: 6 महीने से 3 वर्ष तक। - 6 महीने से एक/दो/तीन साल के लिए एक गहन कार्यक्रम: किताबें पढ़ने और उत्पादन में अभ्यास आदि के साथ मुख्य अवधारणाएँ। |
पूर्वअपेक्षाएं | ● परिचय शिविर + अध्ययन बिन्दु (आदर्श रूप से 2 प्रत्येक)
● अवलोकन शिविर(सुझावित) ● पहले अवलोकन Module पूरा करें (सुझावित) |
विषय में | ● समझने के लिए अध्ययन महत्वपूर्ण चरण है
● मध्यस्थ दर्शन साहित्य को समझने और उसके अनुसार जीने में उचित प्रगति के लिए उसका व्यवस्थित अध्ययन आवश्यक है। ● यह वास्तविकता के हर पहलू - प्रकृति, मनुष्य, मानव जीवन, पारिवारिक प्रणाली और सामाजिक और आर्थिक संगठनों में सर्वांगीण जांच को सक्षम बनाता है। ● सुविधायुक्त कक्षा सत्र होते हैं, जिसके बाद परिसर में स्व-अध्ययन, चर्चा और कुछ शारीरिक गतिविधियों के सत्र होते हैं। ● शाम को कई वर्षों से अध्ययन और अभ्यास में शामिल व्यक्तियों और परिवारों के साथ बातचीत करने का अवसर मिलता है। ● प्रतिभागी आमतौर पर विभिन्न पृष्ठभूमि के वयस्क होते हैं, जिन्होंने कुछ 'परिचय' शिविर पूरे किए हैं। |
सामग्री | ● कुल १४ पुस्तक
● ४ दर्शन, ३ वाद, ३ शास्त्र, ● परिभाषा संहिता,संविधान, संवाद - |
आशय | ● ‘मध्यस्थ दर्शन’ सम्पूर्ण का प्रथम परिचय |
परिणाम | ● शब्द-परिभाषा स्पष्ट हो जाती है|
● दर्शन में 'वस्तु' का जोडना स्पष्ट हो जाता है। ● पूर्व मान्यताओं/विचारों से तुलना। |
अभ्यास | ● शास्त्र पठनः परिभााषा
● जीवन - शरीर भेद । ● जीवन क्रिया स्व-निरीक्षण ● व्यवहार मे ध्यान ● कर्म-अभ्यास -अवश्यक्ता ● समाज व्यवस्था में भागीदारी-आवश्कता। |
पंजीकरण | ● अध्ययन स्थली से संपर्क करे| |
अगला कदम | ● अध्ययन-अभ्यास गोष्ठी |
संसाधन |
– विद्यार्थीयों द्वारा सहायक सामग्री –· पुस्तक सुलभ प्रथम अध्ययन क्रम (सुझावित). · १२ पुस्तक – 400 घंटे पठन शिविर @ Jeevan Vidya Official Channel – नागराजजी द्वारा प्रमाणिक अध्ययन सामग्री – · मूल YouTube वीडियो देखें · प्रकाशित ग्रन्थ – वर्तमान संस्करण– (दर्शन, वाद, शास्त्र) |
अध्ययन ब्लॉक
चरण 5 | (शास्त्राभ्यास परिपक्वता के लिए अध्ययन गोष्ठी ) |
सामग्री | ● संपूर्ण प्रकाशित साहित्य + ऑडियो + वीडियो। - एकाधिक राउंड
● अप्रकाशित साहित्य+संकलन |
आशय | ● संपूर्ण श्रवण-निष्कर्ष। |
गोष्ठी के बारे | ● दर्शन ग्रंथों का कई बार आवृत्ति | (इस क्रम में आपका शब्द-आधारित सैद्धांतिक समझ विकसित होता हुए दिखेगा एवं आप पायेंगे की आप दूसरों को दर्शन बता पा रहे हैं)
● जीने के प्राथमिकता एवं स्थान में परिवर्तन करना | निम्न छह बिन्दुओं पर अनुकूलता/ उपलब्धता हेतु सोचना: 1. भौतिक वातावरण अनुकूलता (स्थान, विद्यालय, इत्यादि) 2. मानव: सहभागी लोग/परिवार , सांस्कृतिक वातावरण 3. बौद्धिक वातावरण – साथ देने, अध्ययन में मार्गदर्शन 4. प्राकृतिक: अर्थ पूर्ण श्रम/ कार्य / सेवा के लिए अवसर होना 5. समाज व्यवस्था में, योजना भागीदारी के लिए अवसर 6. अर्थ: अपने विद्यार्थी के यात्रा में सहारा हेतु धन राशि की उपलब्धता/स्रोत ● उत्साह एवं समय के सदुपयोग हेतु एक से अधिक योजनाओं में भागीदार होना (अपने अभ्यास के अर्थ में है) |
परिणाम | ● शब्द-परिभाषा-वस्तु निष्कर्ष का स्मरण होना चाहिए।
● तार्किक-दृष्टि स्थिरता...स्पष्टता जारी 1. A) जनाने- मानने की वस्तु (साक्षात्कार) 2. B) पहचाने-निर्वाह (जीने) की वस्तु 3. C) व्यवस्था, परम्परा की वस्तु 4. D) अध्ययन-अभ्यास विधि एवं क्रियान्वयन चित्रण स्पष्ट। |
अभ्यास | ● शास्त्र-परिभाषा, एक ही अर्थ
● जीवन क्रिया स्व-निरीक्षण ● व्यवहार अभ्यास प्रवेश ● कर्म-अभ्यास प्रवेश ● समाज व्यवस्था में भागीदारी |
संसाधन | अध्ययन-अभ्यास गोष्ठी सामग्री देखें
● अध्ययन विधि परिचय #२ (साधन भाई) |
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अभ्यास ब्लॉक
चरण 6 | मनन: मनन गोष्ठी (शास्त्र अधिकार के अनंतर) |
सामग्री | ● समस्त साहित्य - प्रकाशित+अप्रकाशित। , सभी ऑडियो, वीडियो।
● सभी संकलन, शोध पत्र। |
आशय | ● पूर्ण मनन, साक्षातकार प्रारंभ |
इस गोष्ठी के बारे | ● हम अभी लिखित दर्शन में अधिकार प्राप्त किये हैं
● मानवीयता एवं जीवन जागृति हमारे जीवन के “प्रथम प्राथमिकता” में आ चूका है ● मनन में हमारा प्राप्त बौद्धिक/तार्किक/समझ, निष्कर्ष, एवं आतंरिक एवं बाह्य आचरण में परिवर्तित होता है (गुणात्मक परिवर्तन) ● मनन सफलता हेतु नागराजजी का सम्पूर्ण ग्रंथालय देखें तथा विद्यार्थी संकलन-शोध पत्र उपयोगी है ● मनन में प्रौढ़ता के अनंतर साक्षात्कार है, यहीं से ‘चेतना विकास’ प्रारंभ होता है ● साक्षात्कार में प्रौढ़ता से अवधारणा होता है, इस भूमि में लिखित सुचना पर न्यूनतम निर्भरता रहती है | ● अवधारणा के बाद बोध एवं अनुभव होता है |
परिणाम | ● साक्षात्कार वस्तु का आसवन, जीने की वस्तु
● स्व-संस्कारों में गुणात्मक परिवर्तन ● न्याय-धर्म-सत्य प्रत्यक्ष: इच्छा, विचार, आशा मे। -श्रवण के भावों में जीना, स्वयं होना। साक्षात्कार योग्य बनना। ● चित्त तंत्रित जीवन में प्रवेश |
अभ्यास | ● स्व-निरीक्षण, जागृति विधि साधना: मन, वृत्ति, चित्त क्रियाओं का क्रमश दृष्टा, मुल्यकंन (चिंतनाभ्यास पृष्ठभूमि)
● व्यव्हाराभ्यास (स्वयं में गुणात्मक परिवर्तन) ● कर्माभ्यास ● समाज व्यवस्था में भागीदारी ● शास्त्र-अभ्यास |
संसाधन | ● मनन-अभ्यास गोष्ठी सामग्री देखें
● जीवन क्रिया सम्बंधित लेख (ए. नागराज) |
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समझ > अभ्यास क्रम ब्लॉक
चरण #7, 8, 9: साक्षात्कार - बोध - अनुभव
निम्नलिखित चरण आंतरिक उपलब्धियों के रूप में होते हैं और इनका कोई औपचारिक कार्यक्रम नहीं होता है, बल्कि सहकर्मी-समूहों और एक निपुण शिक्षक (बोध, अनुभव संपन्न शिक्षक) की मदद लेते हैं।
चरण 7 | अवधारणा . |
सामग्री | ● अर्थ |
आशय | ● वस्तु में स्थिरता - न्याय-धर्म-सत्य |
● "धारणा" स्थापना. |
परिणाम | ● न्याय धर्म सत्य देश एवं तत्व में चित्त-वृत्ति का स्यांत होना ।
● - मानवियता पूर्ण जीवन का प्रतीति पूर्वक जीना, अपराध, अन्या, आसक्ति का अभाव। ● आत्मबोध रहित बुद्धि तंत्रित जीवन। - प्रज्ञा. विकसित चेतना ज्ञान. ● चित्त के संस्कार/स्वीकृतियों का दृष्टा। |
अभ्यास | ● चिंतनाभ्यास: चित्त, वृत्ति, मन क्रियाओं का दृष्टा, मूल्यांकन ।
● व्यवहार अभ्यास |
संसाधन | स्मृति |
चरण 8 | बोध, पूर्ण बोध |
सामग्री | ● अवधारणा का सार भूत भाग |
आशय | ● स्थिरता, केन्द्रीकृत होना।
● ध्यान. |
परिणाम | ● विकसित चेतना #2 (देव) का बोध।
● प्रखर प्रज्ञा, आत्मनुशासित जीवन। , निष्ठा. ● दृष्टा पद |
अभ्यास | ● चिंतनाभ्यास: बुद्धि, चित्त, वृत्ति, मन क्रियाओं का दृष्टा, मूल्यांकन ।
● व्यव्हाराभ्यास - प्रेम। |
चरण 9 - अनुभव, (*पूर्ण बोध के साथ हो सकता/होता है)
- दृष्टा पद प्रतिष्ठा, पूर्णता।
- मानव चेतना, देव चेतना, दिव्य मानवीयता: अनुभव मूलक प्रमाणित होना।
- सहज निष्ठा.
- अभ्यास: प्रमाण. चिंतन, व्यवहार, कर्म अभ्यास।
मध्यस्थ दर्शन ‘विधिवत अध्ययन’ यात्रा संक्षिप्त दृश्य
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कड़ी | शिविर / अध्ययन श्रुंखला क्रम === > | ||||
~समय | उद्देश्य | शिविर /गोष्ठी | सामग्री | मुख्य अभ्यास | |
परिचय ब्लॉक |
|||||
1. परिचय
|
~6 से 9 माह | मानव में जागृति एवं अध्ययन की आवश्यकता | -जीवन विद्या प्राथमिक परिचय शिविर
|
परिचयात्मक सहायक पठन सामग्री | सुनना, जांचना |
2.अध्ययन के बिन्दुओं से अवगत होना | ~6 से 9 माह | मूल तत्वों से अवगत होना | -अध्ययन बिंदु शिविर
- ‘मूल तत्व अवलोकन’ शिविर * |
-अध्ययन बिंदु सामग्री | पढना, मंथन, जांचना |
अध्ययन ब्लॉक |
|||||
3. प्रथम पठन /आवृत्ति
|
~ 1 से 3 वर्ष
|
दर्शन सम्पूर्ण से अवगत होना | -अध्ययन शिविर (अंश/ पूर्ण कालीन)
-‘अध्ययन विधि परिचय’ शिविर (अध्ययन /शास्त्राभ्यास कैसे?)* |
-दर्शन सहज १२ मूल पुस्तक
(सुझावित प्रथम पठन क्रम देखें) |
शास्त्राभ्यास > समझना |
4.विधिवत शास्त्राध्ययन |
4 से 8 वर्ष | दर्शन सहज तर्क संगत निष्कर्ष /आभास स्मृति में आना | -अध्ययन-अभ्यास गोष्ठी
- ग्रंथों में: “अध्ययन विधि, प्रमाण विधि”: तात्पर्य गोष्ठी
|
सहायक पठन सामग्री (+अप्रकाशित) ^
|
शास्त्राभ्यास प्रधान + कर्माभ्यास + व्यवहार पर ध्यान
|
अभ्यास, जीना ब्लॉक |
|||||
5. ‘विधिवत मनन’ + अभ्यास
|
(जारी) | => निष्कर्षों पर मनन एवं प्रतिदिन अभ्यास, गोष्ठी >“तीव्र इच्छा” => गुणात्मक परिवर्तन
|
‘मनन -अभ्यास गोष्ठी* ‘; अभ्यास नियमावली (संकलन) | -सहायक अभ्यास सामग्री
(नियमावली) |
व्यवहाराभ्यास प्रधान + चिंतनाभ्यास प्रवेश) |
समझ ब्लॉक |
|||||
6. समझ/ ज्ञान | (जारी) | =>साक्षात्कार, अवधारणा पूर्वक स्थिरता (“वस्तु बोध = अध्ययन”)
बोध, अनुभव |
-अवधारणा गोष्ठी *
-अनुभव शिविर |
- जागृति मानव ! | चिंतनाभ्यास
(योगाभ्यास) प्रधान |
“^” = सहायक सामग्री > ऑडियो, विडियो एवं संकलन / “*” = प्रस्तावित नवीन शिविर/ गोष्ठी
संसाधन#
- विद्यार्थी शिविर: YouTube Jeevan Vidya Official
- नागराजजी: YouTube @ Madhyasth Darshan Originals.
- ly/md-library: ऑनलाइन ग्रंथालय सम्पूर्ण
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- * Important Note on choosing ‘Center’s !
- Study Method Introduction (in English, by practising student)
- अध्ययन प्रक्रिया परिचय (विद्यार्थी द्वारा)
- अध्ययन प्रक्रिया संकलन - नागराजजी द्वारा
- Get started online if you are unable to attend a physical program