अध्ययन रोडमैप – मार्गदर्शिका

 

मध्यस्थ दर्शन अध्ययन यात्रा

(*See Roadmap in English)

'मध्यस्थ दर्शन' ज्ञान संपन्न होने एवं जीने का मार्ग है | यहाँ इसके अध्ययन के यात्रा को दर्शाया गया है | इसमें समय लगता है | 

अध्ययन में मुख्य रूप से चार श्रृंखला है | प्रत्येक श्रृंखला में कुछ "चरण" हैं, जिससे गुजरने से उस श्रृंखला की जानकारी पुरी होती है | 

प्रत्येक चरण का मार्गदर्शिका PDF डाउनलोड रूप में उसी भाग में दिया है | मार्गदर्शिका में उस चरण का विवरण, संभावित उपलब्धियां (लक्षण) एवं अध्ययन सामग्री (पुस्तक, ऑडियो, विडियो) का लिंक दिया है| आप इन लिनक्स के माध्यम से उस कड़ी का पठन इत्यादि सामग्री डाउनलोड करें |

 प्राथमिक नीव श्रृंखला (3 चरण)

चरण #1  परिचय

युवा एवं प्रौढ़ों के लिए मध्यस्थ दर्शन की यात्रा सात दिवसीय जीवन विद्या परिचय शिविर से प्रारंभ होता है | जीवन विद्या परिचय शिविर से मनुष्य के जीवन के सम्पूर्ण आयाम एवं सारे परिस्थियों के बारे जानकारी मिलती है, व इनसे सम्बंधित रहस्यों का उन्मूलन होता है, साथ में समाधान का रास्ता स्पष्ट होता है |एक से अधिक प्रबोधक का 2-3 परिचय शिविर करना सुझावित है | इसमें 6 माह से 1 वर्ष का समय लग सकता है | 

*परिचय शिविर के बाद ऑनलाइन देखें | परिचय कड़ी के फल एवं पठन मार्गदर्शिका PDF डाउनलोड करें

विधिवत अध्ययन श्रृंखला (2 चरण)

चरण #4: अध्ययन शिविर  (पुस्तको के साथ प्रथम पठन)

मध्यस्थ दर्शन अध्ययन शिविर विधिवत १२ पुस्तकों का अध्ययन है (4 दर्शन, 3 वाद, 3 शास्त्र, परिभाषा एवं संविधान) | इसमें कोई ज्येष्ठ अध्येता साथ में रहते हैं एवं पूर्ण कालीन अथवा अंश कालीन माध्यम से पूरा किया जा सकता है | इसमें समझने, जीने एवं मानवीय व्यवस्था एवं परंपरा का सम्पूर्ण सूचना सामने आ जाती है, एवं आगे इसे समझने एवं जीने का मन तैयार होता है |अध्ययन शिविर 6 माह से 2 वर्ष,  पूर्ण एवं अंश कालीन विधियों में उपलब्ध हैं | 

पुस्तक सुलभ अध्ययन क्रम मार्गदर्शिका PDF डाउनलोड करें 

 

 विधिवत अभ्यास श्रृंखला (1 चरण)

चरण  #6: मनन-अभ्यास गोष्ठी (जारी)

मनन गोष्ठी, सम्पूर्ण वांग्मय पर श्रवण अधिकार के पश्चात, अपने ‘समझ’ जैसे स्वयं होने के लिए, ज्ञान सम्मपन्न होने के लिए केन्द्रित होने के लिए है | इसमें व्यवहार, स्व-मूल्यांकन एवं समझ के मुद्दों पर महीन बा हो पाती है | इस भूमि में भाषा कम हो जाता है, अर्थ अधिक हो जाता है | मनन में प्रौढ़ता आने में कई वर्ष लगता है, यह हमारा पूर्व संस्कार एवं स्वयं प्रमाणित होने के तीव्र इच्छा पर निर्भर करता है |

 समझ (ज्ञान) श्रृंखला (3 चरण)

चरण#7 (साक्षात्कार), #8 (बोध), #9 (अनुभव)

साक्षात्कार में हम समझे हुए, मनन किये हुए निरंतर रहें वाले वास्तविकताओं को अस्तित्व में ‘वस्तु’ रूप में पहचान लेते हैं, इसका ज्ञान होता है | साक्षात्कार में भाषा एवं तर्क नहीं रहता, साक्षात्कार होने से वस्तु पर विश्वास एवं वैसे जीना में निष्ठा बन जाता है | साक्षात्कार होने से पुस्तक पीछे छूटना शुरू हो जाता है | मनन-साक्षात्कार-जीना क्रम में अवधारणा रूपी स्थिरता आने में समय लगता है | यह हमारा पूर्व संस्कार एवं स्वयं प्रमाणित होने के तीव्र इच्छा पर निर्भर करता है |

  • अवधारणा होने से अमानवीयता/ निषेध पीछे रह जाता है |  विकसित चेतना का ज्ञान होता है |
  • बोध में साक्षात्कार किये वस्तुओं पर दृढ़ता बन जाति है | बोध होने से पुस्तक पीछे छूट जाता है|
  • साक्षात्कार-बोध क्रम में स्वयं में विश्राम, सुख, शांति, संतोष होने लगता है, एवं अनुभव पूर्वक आनंद की निरंतरता होता है |
  • अनुभव में ज्ञान एवं आचरण पूर्ण हो जाता  है|

समझ कड़ी मार्गदर्शिका PDF डाउनलोड करें 
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