अध्ययन रोडमैप – मार्गदर्शिका
मध्यस्थ दर्शन अध्ययन यात्रा
(*See Roadmap in English)
'मध्यस्थ दर्शन' ज्ञान संपन्न होने एवं जीने का मार्ग है | यहाँ इसके अध्ययन के यात्रा को दर्शाया गया है | इसमें समय लगता है |
अध्ययन में मुख्य रूप से चार श्रृंखला है | प्रत्येक श्रृंखला में कुछ "चरण" हैं, जिससे गुजरने से उस श्रृंखला की जानकारी पुरी होती है |
- श्रृंखला 1: प्राथमिक नीव, (Primary Foundation Phase)
- इस श्रृंखला में मध्यस्थ दर्शन के मूल तत्वों से अवगत होकर, ग्रंथों को पढने की योग्यता विकसित होती है
- 3 चरण {परिचय शिविर, अध्ययन बिंदु, अवलोकन}
- श्रृंखला 2: विधिवत अध्ययन (श्रवण) (Systematic Study)
- इस श्रृंखला में दर्शन के मूल ग्रंथों को पढ़कर समझते हैं
- 2 चरण {पुस्तक पठन + अध्ययन गोष्ठी}
- श्रृंखला 3: विधिवत अभ्यास (मनन) (Systematic Practice)
- इस श्रृंखला में अभ्यास में तीव्रता आति है
- 1 चरण {अभ्यास}
- श्रृंखला 4: समझ एवं ज्ञान (Understanding & Knowledge)
- इस श्रृंखला में वास्तविकताओं को सीधे जानते हैं
- 3 चरण (साक्षात्कार-बोध-अनुभव)
प्रत्येक चरण का मार्गदर्शिका PDF डाउनलोड रूप में उसी भाग में दिया है | मार्गदर्शिका में उस चरण का विवरण, संभावित उपलब्धियां (लक्षण) एवं अध्ययन सामग्री (पुस्तक, ऑडियो, विडियो) का लिंक दिया है| आप इन लिनक्स के माध्यम से उस कड़ी का पठन इत्यादि सामग्री डाउनलोड करें |
- * नवीन अध्येता अध्ययन यात्रा का संक्षिप्त द्रश्य PDF Download करें
- * गंभीर अध्येता सारे चरणों के मार्गदर्शिका सीधे देखे सकते है
चरण #1 परिचय
युवा एवं प्रौढ़ों के लिए मध्यस्थ दर्शन की यात्रा सात दिवसीय जीवन विद्या परिचय शिविर से प्रारंभ होता है | जीवन विद्या परिचय शिविर से मनुष्य के जीवन के सम्पूर्ण आयाम एवं सारे परिस्थियों के बारे जानकारी मिलती है, व इनसे सम्बंधित रहस्यों का उन्मूलन होता है, साथ में समाधान का रास्ता स्पष्ट होता है |एक से अधिक प्रबोधक का 2-3 परिचय शिविर करना सुझावित है | इसमें 6 माह से 1 वर्ष का समय लग सकता है |
*परिचय शिविर के बाद ऑनलाइन देखें | परिचय कड़ी के फल एवं पठन मार्गदर्शिका PDF डाउनलोड करें
चरण #2 "अध्ययन बिन्दु"
अध्ययन बिंदु शिविर, श्री ए.नागराज के द्वारा लिखित ‘जीवन विद्या 44 उद्बोधन बिन्दुओं’ का व्याख्या है | इसमें मध्यस्थ दर्शन के मूल तत्वों से अवगत होना होता है – जैसे सहअस्तित्व दर्शन ज्ञान, चैतन्य रूपी जीवन ज्ञान में १- क्रियाएं, मानवीयतापूर्ण आचरण ज्ञान, विवेक, विज्ञान, अखंड समाज एवं सार्वभौम व्यवस्था | साथ में मध्यस्थ दर्शन का भौतिकवाद एवं आदर्शवाद का ‘विकल्प’ होना स्पष्ट होता है |३-६ माह के अंतराल में एक-दो अध्ययन बिंदु शिविर करना सुझावित है |
अध्ययन बिन्दु कड़ी मार्गदर्शिका PDF डाउनलोड करें
चरण #3: अवलोकन (Optional)
अवलोकन शिविर में मध्यस्थ दर्शन के मुख्य अध्ययन के बिन्दुओं का सारांश रूप के साथ सम्पूर्ण वांग्मय का परिचय है, तथा इन्हें पढने के विधि को लेकर विमर्श होता है | साथ में अध्ययन एवं अभ्यास के विधि पर स्पष्टता आति है | अवलोकन शिविर का उद्देश्य मध्यस्थ दर्शन पुस्तकों को पढने में सुलभता, एवं पढने के अनंतर समेटने में मदद करता है | इसमें ‘चैतन्य जीवन’ को केंद्र में रखते हुए, ‘अस्तित्व’ का अध्ययन करने का मानसिकता स्पष्ट हो जाता है | | प्रथम पठन के पूर्व में ‘अवलोकन Module’ हेतु पठन एवं सुनना लगभग 9 माह से 1 वर्ष लग सकता है | अवलोकन के अनंतर अध्ययन शिविर करने से पुस्तकों को पढने की अच्छी पूर्व तय्यारी हो जाती है |
अवलोकन कड़ी मार्गदर्शिका PDF डाउनलोड करें
चरण #4: अध्ययन शिविर (पुस्तको के साथ प्रथम पठन)
मध्यस्थ दर्शन अध्ययन शिविर विधिवत १२ पुस्तकों का अध्ययन है (4 दर्शन, 3 वाद, 3 शास्त्र, परिभाषा एवं संविधान) | इसमें कोई ज्येष्ठ अध्येता साथ में रहते हैं एवं पूर्ण कालीन अथवा अंश कालीन माध्यम से पूरा किया जा सकता है | इसमें समझने, जीने एवं मानवीय व्यवस्था एवं परंपरा का सम्पूर्ण सूचना सामने आ जाती है, एवं आगे इसे समझने एवं जीने का मन तैयार होता है |अध्ययन शिविर 6 माह से 2 वर्ष, पूर्ण एवं अंश कालीन विधियों में उपलब्ध हैं |
पुस्तक सुलभ अध्ययन क्रम मार्गदर्शिका PDF डाउनलोड करें
चरण #5: अध्ययन पुनावृत्ति (अध्ययन गोष्ठी)
अध्ययन-अभ्यास गोष्ठी – पुतकों को कई बार पुन:-पठन के साथ साथ अपने समझ / मान्यता / निष्कर्षों को जांचने, अभ्यास के विधियों को समझने एवं परस्पर मित्री के लिए अवसर है | यह छोटे समूहों में होता है | इस चरण में सारा भाषा सिमटकर सूत्र रूप में हमारे में हो जाता है | इस क्रम में पुस्तकों को 2 से 8 बार पढना हो जाता है एवं 4 से 8 वर्ष लग सकते हैं |
अध्ययन गोष्ठी कड़ी मार्गदर्शिका PDF डाउनलोड करें
चरण #6: मनन-अभ्यास गोष्ठी (जारी)
मनन गोष्ठी, सम्पूर्ण वांग्मय पर श्रवण अधिकार के पश्चात, अपने ‘समझ’ जैसे स्वयं होने के लिए, ज्ञान सम्मपन्न होने के लिए केन्द्रित होने के लिए है | इसमें व्यवहार, स्व-मूल्यांकन एवं समझ के मुद्दों पर महीन बा हो पाती है | इस भूमि में भाषा कम हो जाता है, अर्थ अधिक हो जाता है | मनन में प्रौढ़ता आने में कई वर्ष लगता है, यह हमारा पूर्व संस्कार एवं स्वयं प्रमाणित होने के तीव्र इच्छा पर निर्भर करता है |
चरण#7 (साक्षात्कार), #8 (बोध), #9 (अनुभव)
साक्षात्कार में हम समझे हुए, मनन किये हुए निरंतर रहें वाले वास्तविकताओं को अस्तित्व में ‘वस्तु’ रूप में पहचान लेते हैं, इसका ज्ञान होता है | साक्षात्कार में भाषा एवं तर्क नहीं रहता, साक्षात्कार होने से वस्तु पर विश्वास एवं वैसे जीना में निष्ठा बन जाता है | साक्षात्कार होने से पुस्तक पीछे छूटना शुरू हो जाता है | मनन-साक्षात्कार-जीना क्रम में अवधारणा रूपी स्थिरता आने में समय लगता है | यह हमारा पूर्व संस्कार एवं स्वयं प्रमाणित होने के तीव्र इच्छा पर निर्भर करता है |
- अवधारणा होने से अमानवीयता/ निषेध पीछे रह जाता है | विकसित चेतना का ज्ञान होता है |
- बोध में साक्षात्कार किये वस्तुओं पर दृढ़ता बन जाति है | बोध होने से पुस्तक पीछे छूट जाता है|
- साक्षात्कार-बोध क्रम में स्वयं में विश्राम, सुख, शांति, संतोष होने लगता है, एवं अनुभव पूर्वक आनंद की निरंतरता होता है |
- अनुभव में ज्ञान एवं आचरण पूर्ण हो जाता है|